मंदिर में अहंकार लेकर नहीं विनम्रता के साथ जाए – आर्यिका श्री
संजय जैन / हटा / दमोह : आने वाली पीढी आपको तभी मंदिर के द्वार ले जायेगी जब आप आज अपने साथ अपने बच्चों को मंदिर ले जायेगें। जब बच्चों के हाथ में मंगल कलश होगा, भगवान का अभिषेक करेगा तो बचपन के संस्कार ही उसे नशा व्यसन से दूर रखेगें। मंदिर केवल श्रद्धा व आस्था का केन्द्र नहीं बल्िक संस्कार प्रदान करता है। यह बात आर्यिका श्री गुणमति माता जी ने श्री आदिनाथ दिगम्बर त्रमूर्ति मंदिर में श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान में अपने मंगल प्रवचन में कही।
आर्यिका श्री ने कहा कि भगवान को धन्यवाद ज्ञापित करे कि आज का दर्शन आज का दिन मंगलमय रहा कल का सूरज भी दिखा देना, वरना यही मेरा अंतिम दर्शन, प्रणाम स्वीकार करो। मंदिर ही मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता है, जब भी मंदिर जाओ तो पांचो पाप का त्याग करके मंदिर जाना चहिए। मंदिर में अहंकार को लेकर नहीं वरन नम्रता, विनम्रता के साथ दर्शन करना चाहिए, अहंकार का स्थान तो वहां है जहां जूते चप्पल रखे जाते है। मंदिर के वस्त्र शुद्ध साफ होना चाहिए, कोई अनुष्ठान हो तो केशरिया वस्त्र पहने, सफेद वस्त्र शांति व सत्य का प्रतीक होता है। यदि आप भडकीले वस्त्र पहनकर मंदिर जा रहे और आपके वस्त्रों को देखकर दूसरों के मन में विकार उत्पन्न हो रहे तो आप भी उस पाप के भागीदारी है। जिन वस्त्रों को देख उसके मन में विकार आये है।
मंदिर जी आज सिद्धों की आराधना में पुण्यार्जक हेमकुमार एवं शीला के साथ श्रद्धालुओं ने अर्घ चढायें, पं. अमित, पं. प्रवीण, आदित्य भैया द्वारा संगीतमय पूजन पाठ कराया जा रहा है।