मरने के बाद भी नहीं है मरने वाले को सुकून, क्या यह जिम्मेदारी है जिम्मेदारों की!
शव कीचड व नाली वाले मार्ग से पहुंचता चीरघर जीते-जी तो सुकून मिला नहीं और अब मरने के बाद भी चैन नहीं, इन पर नजर क्यों नहीं जिम्मेदारों की
संजय जैन /हटा /दमोह : थक गयी है धड़कनें अब तो चलते चलते, ठहरे सांसे तो शायद आराम मिल जाए। यह अंदाज हटा में अकाल मौते हो जाने या हादसे में जान गंवाने वालों से कोसों दूर है, जहां जीते-जी तो सुकून मिला नहीं और अब मरने के बाद भी चैन नहीं, तहसील के करीब 165 गांवों के लोगों के लिए किसी की अकाल मौत हो जाने या हादसा में जान गंवाना परिजन को दोहरा आघात लेकर आता है। पहले तो अपनों की मौत का गम फिर शव परीक्षण के लिए शव को चीरघर तक ले जाना, यह कार्य अब सहज नहीं रह गया है। 21 वीं सदी की यह कडवी सच्चाई है कि हटा में शव परीक्षण गृह तक शव को कीचड व गंदी नाली के पानी में से होकर गुजरना पडता है।
नया भवन निर्माण ने बंद किया रास्ता-
हटा तहसील के 5 थाना व 3 पुलिस चौकियों के करीब 165 गांवों में यदि किसी की असामायिक घटना से मौत हो जाती है, तो उसका शव परीक्षण नगर के सिविल अस्पताल परिसर में बने शव परीक्षण गृह में होता है। वर्तमान इस शव परीक्षण गृह तक शव ले जाना एक चुनौती बना हुआ है। नया अस्पताल भवन निर्माण के कारण यहां तक जाने का रास्ता बंद हो गया है। इसकी प्रशासन तंत्र द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है, भवन निर्माण के कारण चीरघर के रास्ता में नालियों का गंदा पानी का भराव हो रहा है उसी में से होकर शव को गन्तव्य तक पहुंचाया जाता है।
वार्ड की सारी गंदगी यही जमा हो जाती, नपा पूरी तरह मौन
विगत एक माह से यह समस्या अखबारों एवं सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है, इसके बाबजूद भी अस्पताल प्रबंधन, नगर पालिका, प्रशासन तंत्र इस समस्या के आगे मौन व बोना बना हुआ है, जमीर बेच चुके तंत्र के जिम्मदारों को इतना भी समय नहीं कि रास्ता सहज सुगम हो इसके लिए कोई सकारात्मक ठोस कदम उठायें।
पुष्पेन्द्र पाण्डे, अनिल सोनी, संदीप रैकवार ने बताया कि जहां चीरघर है वही पर नगर पालिका का सारा कचडा डाला जा रहा है, वही वार्ड की सारी नालियों का पानी एकत्र होता है, जो वहां प्रदूषण फैला रहे है, यही पर अस्पताल स्टाप क्वाटर है वहां निवास करने वालों को तो अपने दरवाजे सदैव बंद रखना पडता है।
वैकल्पिक मार्ग बनायें हो सकता हादसा –
एक तो शव को दुर्गम मार्ग से ले जाना पडता है साथ रास्तें में भवन निर्माण का कार्य चल रहा है, दूसरी मंजिल पर चल रहे निर्माण कार्य में आये दिन ईट, सरिया, सेंटिंग प्लेट आदि गिरती रहती है, ऐसे में कभी भी हादसा होने का भय बना रहता है, समाज सेवी पन्ना लाल साहू ने बताया कि आज परिचित के यहां हादसा होने पर उसका शव परीक्षण के लिए लाये परेशानी देखी, जब निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था उसी दौरान यहां तक पहुंचने व स्टाप क्वाटर के लिए वैकल्पिक रास्ता पहले बनाना चाहिए, एक दिन पहले ही कलेक्टर ने अस्पताल का भ्रमण किया आंक्सीजन प्लांट तो देखा लेकिन जहां से पूरे परिसर में प्रदूषण फैल रहा उस पर नजर तक नहीं डाली। नगर में जिन समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाना चाहिए। उसे प्रशासन अनदेखा कर रहा है, वह शासन तंत्र के जिम्मेदार भी केवल वही पहुंच रहे है जहां माला, तिलक, शाल, श्रीफल उनका इंतजार करते है, वे अपनी वोटों को सम्हालकर रखने की जुगत बनायें हुए है।